दीपावली क्यों मनाई जाती है? Dipawali Kyo Manaya Jata Hai
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और पवित्र त्यौहार है, जिसे पूरे देश में हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी, जहां भारतीय समुदाय रहते हैं, वहाँ बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार अंधकार से प्रकाश की ओर, बुराई पर अच्छाई की जीत, और अज्ञान से ज्ञान की ओर प्रेरणा देने का प्रतीक है। दीपावली का त्यौहार विशेष रूप से हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसे विभिन्न धर्मों के लोग भी समान उत्साह के साथ मनाते हैं।?
दीपावली का महत्व और इतिहास:
दीपावली का उल्लेख कई पौराणिक कहानियों में मिलता है, और इसके साथ विभिन्न धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व जुड़े हुए हैं। इस त्यौहार के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से प्रमुख कुछ इस प्रकार हैं: (alert-success)
1. भगवान राम का अयोध्या आगमन:
Dipawali Kyo Manaya Jata Hai? दीपावली का मुख्य और सबसे प्रचलित कारण भगवान श्रीराम का लंका विजय के पश्चात अयोध्या लौटना माना जाता है। भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 वर्षों का वनवास समाप्त करके जब अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए और पूरे राज्य को रोशनी से सजाया था। इसे बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में माना गया। तब से, यह पर्व दीपों का त्यौहार बन गया और इसे दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा बन गई।
2. भगवान कृष्ण और नरकासुर का वध:
भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध करके उसके आतंक से जनता को मुक्त कराया था। यह घटना भी दीपावली का एक कारण माना जाता है। नरकासुर के वध के पश्चात सभी नगरवासियों ने अपने घरों को दीपों से सजाया और उत्सव मनाया। इस प्रकार यह पर्व अच्छाई की जीत और बुराई का अंत दर्शाने के लिए मनाया जाता है।
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3. माँ लक्ष्मी का प्रकट होना:
दीपावली का एक और महत्वपूर्ण कारण माता लक्ष्मी के प्रकट होने का दिन भी माना जाता है। समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का प्रकट होना हुआ था और तभी से वे धन, वैभव और समृद्धि की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। दीपावली की रात को माँ लक्ष्मी की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है ताकि उनके आशीर्वाद से घर में समृद्धि और शांति बनी रहे।
4. भगवान महावीर का निर्वाण दिवस:
Dipawali Kyo Manaya Jata Hai? जैन धर्म में दीपावली को भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का निर्वाण दीपावली के दिन हुआ था। इसलिए, जैन धर्म के अनुयायी इस दिन को पवित्र मानते हैं और भगवान महावीर के उपदेशों का स्मरण करते हैं।
5. सिख धर्म में दीवाली का महत्व
सिख धर्म में भी दीपावली का महत्व है। इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन तब की घटना को याद करता है जब मुगल बादशाह जहाँगीर ने सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी को उनके 52 अन्य राजाओं के साथ कारावास से मुक्त किया था। इसलिए, सिख धर्म के अनुयायी इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं और इसे प्रकाश और स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं।
दीपावली मनाने का धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्य:
Dipawali Kyo Manaya Jata Hai? दीपावली का त्यौहार न केवल धार्मिक परंपराओं में बल्कि सांस्कृतिक महत्व में भी समृद्ध है। इसे एक ऐसा पर्व माना जाता है जो परिवारों, समुदायों और समाज के बीच प्रेम, सौहार्द, और आपसी सहयोग को बढ़ावा देता है। दीप जलाना, पटाखे छोड़ना, घरों की सफाई, सजावट करना और नए वस्त्र पहनना, ये सभी गतिविधियाँ केवल त्यौहार का उत्साह ही नहीं बढ़ाते, बल्कि समाज में आनंद, एकता और सौहार्द्र का वातावरण भी पैदा करते हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। लोग माता लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए अपने घरों की सफाई करते हैं और दीप जलाकर उनका स्वागत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी माँ, जो धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी हैं, दीपावली की रात अपने भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं और उन्हें अपने आशीर्वाद से नवाजती हैं।
दीपावली के पाँच दिन?
दीपावली केवल एक दिन का त्यौहार नहीं है, बल्कि इसे पाँच दिनों तक मनाया जाता है, और इन पाँच दिनों में अलग-अलग विधियों और परंपराओं का पालन किया जाता है:
धनतेरस: दीपावली का पहला दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग सोने, चांदी या अन्य धातु से बनी चीजें खरीदते हैं, जिसे शुभ माना जाता है।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली): इसे नरक चौदस भी कहा जाता है। इस दिन नरकासुर का वध हुआ था। लोग स्नान करके अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करते हैं।
दीपावली (लक्ष्मी पूजा): तीसरा दिन मुख्य दीपावली का दिन होता है, जिसमें लक्ष्मी पूजा की जाती है और लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं।
गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने और इन्द्र देव के प्रकोप से गोकुलवासियों को बचाने की कथा के कारण गोवर्धन पूजा होती है।
भाई दूज: दीपावली के पाँचवे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
दीपावली का सामाजिक और पारिवारिक महत्व:
D (caps)दीपावली का त्यौहार समाज और परिवार में प्रेम, सौहार्द और आपसी मेलजोल को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दिन परिवार के सदस्य, जो दूर रहते हैं, वे एक साथ इकट्ठा होते हैं। लोग आपस में मिठाइयाँ बाँटते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, और एक दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। इस प्रकार, दीपावली केवल धार्मिक पर्व ही नहीं है, बल्कि सामाजिक एकता और पारिवारिक प्रेम का प्रतीक भी है।
दीपावली का पर्यावरण पर प्रभाव:
हालाँकि दीपावली का त्योहार बहुत ही पवित्र और उल्लास का पर्व है, लेकिन आजकल इसके कारण प्रदूषण और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है। पटाखों के जलने से ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसलिए, अब सरकार और पर्यावरण प्रेमी लोग लोगों से आग्रह करते हैं कि वे पटाखे न जलाएँ और एक पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनाएँ। (alert-success)
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